अमरनाथ यात्रा हर साल जून के आखिरी दिनों से लेकर अगस्त महीने तक चलती है। इस यात्रा में लगभग हर वर्ष 6 लाख श्रद्धालु हिस्सा लेता है। यह यात्रा पहलगाम से आरंभ होती है। पहलगाम सी अमरनाथ गुफा तक की दुरी लगभग 42 -48 किलोमीटर है, अमरनाथ यात्रा का एक रुट बालटाल से गुजरता है जो पहलगाम के मुकाबले छोटा है।
अमरनाथ गुफा की ऊंचाई लगभग 40 मीटर है जिसमे भगवन शिव का हिमलिंग है। महाभारत और क़ुराणो में इसका जिक्र भी किया है। हिन्दू पुराणिक समुदाय के अनुसार ये माना जाता है कि इसी गुफा में भगवन शिव ने माता पारवती को जीवन के रहस्यो के बारे में बताया था। जिसे कबूतरों ने सुन लिया था और इन्हीं दो कुबूतरो को इस गुफा में कई बार देखा भी है।
अमरनाथ यात्रा की तैयारियां शुरू
अमरनाथ यात्रा की तैयारियां इस वर्ष पूरी तो कर ली गयी है। सीआरपएफ को हाइवे अऊर भगवती नगर में लगा दिया गया है। परन्तु अभी यात्रा मार्ग में कई ऐसे इलाके इलाके है जो की रेड जोन के अंतर्गत आते है। लखनपुर और मुंडा श्रीनगर में लगा दिए गए श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जाएगी। इन जगह पर यात्रिओ के टेस्ट होंगे और यात्रा के दौरान सभी को सावधानी भी बरतनी होगी। जानकारी के अनुसार, 21 जुलाई से यात्रा को आरम्भ किया जायेगा और केवल 500 यात्रिओ को प्रतिदिन जाने की अनुमति दी जाएगी।
गर्म मौसम में पिघलने लगा हिमलिंग
कोरोना महामारी के कारण इस बार अमरनाथ यात्रा के आरंभ होने पर संशय भी है। उधर श्रद्धालुओं के लिए यह और भी निराशाजनक खबर हो सकती है कि शायद यात्रा शुरू होने से पहले ही पवित्र गुफा में बना ही मिली पिघल जाएगा। अभी तक यही होता था कि यह लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी के कारण यह पिघल जाता था, लेकिन इस बार गर्म मौसम ऐसी है। तेजी से पिघल आ रहा है।
यात्रा की तैयारियों से जुड़े अधिकारियों के अनुसार करीब डेढ़ माह पहले अनलॉक 1.0 शुरू होने से पूर्व ही मिली। अपने पूरे आकार में करीब 20 से 22 फुट का था। 5 जुलाई को यह 11 से 12 फुट रह गया था और अब इसकी ऊंचाई करीब 7 से 8 फुट तक ही रह गई है।
साथ ही चौड़ाई भी कम होती जा रही है। आशंका है कि यात्रा शुरू होने से पहले ही यह पूरी तरह से ना पिघल जाए। यह कोई पहली बार नहीं है कि हिमलिंग तेजी से पिघल रहा हो बल्कि पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से गिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से क्षेत्र का तापमान बढ़ता है।
2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के कारण अमरनाथ पहुंचने से ही हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। तब 10 दिन में ही हिमलिंग पिघल कऱ डेढ़ फुट के रह गए थे। तब तक मात्रा 40,000 भक्तों ने ही दर्शन किए थे। साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था जो अमरनाथ यात्रा के शुरुआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। साल 2013 और 2018 में भी यात्रा के पूरे होने से पहले ही यह अंतर्ध्यान हो गए थे।
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