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ऋतुओ के देश भारत में हर ऋतु मनुष्य में एक नई ऊर्जा का निर्माण करती है। लेकिन सावन का महीना तो नई चेतना का निर्माण करता है जो हमें ब्रह्मांड की संपूर्ण चेतना से मिलने का अवसर देता है। इस पूरे महा उन देव देवा दी। देव महादेव की पूजा होती है जो इस संपूर्ण जगत की चेतना को परिभाषित कर उसका केंद्र बन जाते हैं। मनुष्य जाति का सबसे बड़ा संकट है। भटकाव और शिव चेतना हर तरह के भटकाव की समाप्ति का मार्ग इस संसार को बताती हैं।
'शिव' हर स्थिति को श्रेयस्कर मानकर अपनाने वाले देवता है। देवादि देव शिव जिनका दूसरा अर्थ इस पूरे संसार की चेतना है। वह सृष्टि निर्माण के समय मनुष्य जाति को स्पष्ट कर चुके थे कि मानव के दुख खड़े होते हैं। भेदभाव की सोच के दीवारों के साथ शिव ने देवताओं के साथ दानवों को भी अपना कर सृषटि को बताया कि भेदभाव मिटाकर ही आप एक संतुलित समाज बना सकते हैं,इसके अलावा कोई मार्ग नही है।
'शिव' का एक अर्थ तो अध्यात्मिक है। उनका मूल अर्थ प्रकाश है। इस प्रकाश के मायने हैं कि शिव समय सिद्ध है यानी वह स्वयं में स्थित है। भारतीय ज्ञान परंपरा में शिव के स्वयंसिद्ध होने का एक अर्थ यह भी है कि वह ध्यान से ही कल्याण के मार्ग खोजते हैं। कई विद्वानों का तो यह मत है कि शिवलिंग भी आराधक को ध्यान में उतरने के लिए प्रेरित करने का प्रतीक है।
'शिवपुराण' की "उमा संहिता" भाग में शक्ति प्रतीक पार्वती के प्रश्नों का जवाब देकर शिव युगो युगो तक मानव के काम आने वाले सूत्र बताते हैं। इस भाग में देवी पार्वती के एक प्रश्न के उत्तर में शिव कहते हैं। योग्यता पुरुष को चाहिए कि सुखद आसन पर बैठकर विशुद्ध सुभाष द्वारा योगाभ्यास करें। रात्रि में दीपक बुझा कर एक आत में बैठकर तर्जनी उंगली से दोनों कानों को दो घड़ी दबाए रखें। इस अवस्था में अग्नि प्रेरित शब्द सुनाई देगा। इससे संध्या के बाद का खाया सारा कुछ देर में ही पक्ष जाएगा।
कई विद्वान कहते हैं कि शिवपुराण ने कहानियों के माध्यम से चीजों को जानने वाले साधारण लोगों को तो संतुष्ट किया ही, विशुद्ध विज्ञान की भाषा में सब जानने वालों के लिए भी पर्याप्त व्याख्याएँ इसमें हैं।
क्यों नहीं सावन हम उक्त कुछ साधारण बिंदुओं पर मनन करो। शिव के योग विज्ञानिक प्रश्न कला, वैज्ञानिक ब्रह्मांड रहस्य वैज्ञानिक समाज विज्ञानी कुरूप को समझने का प्रयास करें। इससे तो हमारी आस्था और भी सफल हो जाएगी। यह भारतीय परंपरा की खूबसूरती है कि बहुत साधारण लोग जो ज्यादा ज्ञान विज्ञान का बोध नहीं रख पाते, वह उनको भोले बाबा के रूप में ध्यान कर उनके भोलेपन और सादगी से बहुत खुश रखते हैं।
नानकशाही कैलेंडर और हिंदू कैलेंडर में सावन पांचवां महीना है। यह संस्कृत: श्रावण से लिया गया है। कई भारतीय कैलेंडर अलग-अलग युगों में शुरू हुए जैसे शक कैलेंडर पारंपरिक विक्रम के साथ-साथ एसजीपीसी द्वारा कुछ साल पहले बनाया गया एक नया नानकशाही कैलेंडर जो सिख धर्म के भीतर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
Sawan Somwar 2020 पूजा विधि, व्रत कथा, व्रत विधि, मंत्र- वैसे तो हर सोमवार महादेव की उपासना करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है, परन्तु सावन के सोमवार की अलग ही विशेषता है। सावन का यह माह भगवान शिव का माह है, यानि उनकी पूजा एवं माह है। जो साल 2020 में 6 जुलाई को आरम्भ हो रहा है। सावन का सोमवार जितना भोले बाबा को प्रिय है, उतना ही मंगलवार माता पारवती को प्रिय है। उन्हें प्रसन्न लिए भक्त मंगलवार को माता गौरी का व्रत करते है। इस दिन पति-पत्नी के एक साथ पूजा करने पर दांपत्य जीवन सुख से वातित होता है। और मंगलवार तो हनुमान जी का भी बहुत प्रिय दिन है तो इस दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलकर हनुमान जी को लगाने से बहुत लाभ मिलता है।
सावन सोमवार की तारीखे
सावन का पहला सोमवार - 6 जुलाई 2020
सावन का दूसरा सोमवार - 13 जुलाई 2020
सावन का तीसरा सोमवार - 20 जुलाई 2020
सावन का चौथा सोमवार- 27 जुलाई 2020
सावन का पांचवा सोमवार - 03 अगस्त 2020
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